रुड़की(संदीप तोमर) नगर निगम द्वारा वार्षिक लाइसेंस शुल्क के रूप में 6 हजार रुपये की वसूली के फरमान से सर्राफा कारोबारियों में गुस्सा व्याप्त है। गुस्साए सर्राफा कारोबारियों ने इस मसले को लेकर लोकसभा चुनाव में भाजपा के बहिष्कार की धमकी दी है।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गजट अधिसूचना संख्या-838/कर अनु./न.नि.रुड़की/2017-18 दिनांक-30-11-2017 के तहत नगर निगम रुड़की क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न व्यवसायों पर व्यवसायिक लाइसेंस लागू किया गया है। इसी क्रम में गैर ब्रांडेड सर्राफा कारोबारियों पर वार्षिक लाइसेंस के रूप में 6 हजार का शुल्क तय किया गया है। वर्ष 2018-19 हेतु नगर निगम की ओर से गैर ब्रांडेड सर्राफा कारोबारियों को वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। इससे सर्राफा कारोबारियों में गुस्सा व्याप्त है। सर्राफा कारोबारियों ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए इसके खिलाफ आंदोलन और लोकसभा चुनाव में भाजपा के बहिष्कार तक की धमकी दी है। सर्राफा कारोबारी प्रदीप वर्मा के मुताबिक गैर ब्रांडेड सर्राफा कारोबारियों की स्थिति ऐसी नही है कि वह इतनी रकम लाइसेंस शुल्क के रूप में दे सकें। एक तो आर्थिक मंदी ने वैसे ही कारोबार की रीढ़ तोड़ रखी है दूसरे इस प्रकार के शुल्क का कानूनी लिहाज से भी कोई अर्थ नही बैठता। वर्मा के मुताबिक कुछ व्यापारी संगठनों ने भी उनके साथ आंदोलन में आने को कहा है। वर्मा के अनुसार भाजपा सरकार के शासन में जारी यह तुगलकी फरमान जल्द ही वापस नही लिया गया तो आम तौर पर भाजपा का ही वोटर समझा जाने वाला सर्राफा कारोबारी इस लोकसभा चुनाव में भाजपा का बहिष्कार करने को मजबूर होगा।
इसके अलावा ब्रांडेड सर्राफा कारोबारियों पर 10 हजार रुपये वार्षिक लाइसेंस शुल्क लगाया गया है। दोनों तरह के सर्राफा कारोबारियों द्वारा यह शुल्क न दिए जाने पर दस प्रतिशत अधिभार सहित आरसी के जरिये वसूली की जाने की बात नोटिस में कही गयी है। ब्रांडेड सर्राफा कारोबारी दीपक मित्तल ने भी इसे तुगलकी फरमान करार दिया है।
पहले से चला आ रहा वार्षिक लाइसेंस शुल्क
इस मसले को लेकर रुड़की नगर निगम के सहायक नगर निगम अधिकारी चंद्रकांत भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह शुल्क पहले से लागू है। पहले शुल्क बहुत कम था। नियम के तहत 20 वर्ष में अब शुल्क राशि को रिवाइज किया गया है। यह कई अन्य प्रकार के व्यवसायों पर भी रिवाइज होकर लागू हो रहा है।