संदीप तोमर
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रुड़की। आज सिविल अस्पताल में भीम आर्मी की बढ़ी सक्रियता के कारण गहमा गहमी का माहौल बना रहा। मामला कभी गर्म तो कभी नर्म होता दिखा। मामला जब बढ़ गया जब भीम आर्मी ने शवों को उठाने से इनकार कर दिया। इस दौरान पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूले रहे। आनन फानन में भारी पुलिस बल बुलाया गया। भीम आर्मी और बसपा की मांग थी कि मृतकों के परिवारों को 10 लाख की आर्थिक सहायता व एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए। लेकिन अंत मे मामला सलझ गया और परिजन शव लेकर वापस चले गए।
जहरीली शराब मामले में आज भीम आर्मी, बसपा और कांग्रेस के नेता पीड़ितों के बीच नजर आए। कोई मृतकों के घरों में तो रुड़की अस्पताल में पीड़ित परिवारों से मिला। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय और प्रदेश अध्यक्ष महक सिंह सुबह से शाम तक सिविल अस्पताल में रहे उनकी मांग थी कि मृतकों के परिजनों को दस लाख मुआवजा दिया जाए। उन्होंने मांग पूरी न होने तक शव भी नही उठने दिए। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका और एसपी देहात ने उनसे वार्ता की
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने इन लोगों को ज्ञापन देने को कहा,लेकिन इन लोगों के साथ ही यहां मौजूद नेताओं की मांग थी कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अपने स्तर से इस बाबत जिला अधिकारी व जिलाधिकारी शासन को अवगत कराएं। इस बात को लेकर प्रशासन के साथ कार्यकर्ताओं की कई बार तीखी नोकझोंक हुई। कार्यकर्ताओं ने जाम लगाने की चेतावनी दी। जिस पर किसी प्रकार पुलिस प्रशासन ने इन लोगों को समझाया। लेकिन अंत मे परिजन ही शव ले जाने पर अड़ गए तो पुलिस प्रशाशन ने राहत की सांस ली। और शवों को परिजनों को सौंप दिया।वहीं बसपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने भी सरकारी अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की और मृतकों के परिवारों को दस लाख रुपए व नौकरी देने की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पीड़ितों के गांवों में उनके घर पहुंचने के दौरान उपरोक्त 10 लाख देने की मांग की।
आपस में भिड़े बसपा और भीम आर्मी….
रुड़की सिविल अस्पताल में उस समय माहौल गरमा गया जब
भीम आर्मी और बसपा पदाधिकारी आपस में उलझ गए। भीम आर्मी पदाधिकारियों ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया। तो दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक होने लगी। अंत मे पुलिस को बीच मे आकर बीच बचाव करना पड़ा।