(खोल दूं पोल-निगम चुनाव)
रुड़की(संदीप तोमर)। पत्नी सहित 3 बार सभासद और पार्षद रहे भाजपा के हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले चंद्रप्रकाश बाटा मेयर छोड़ पार्षद का टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर मेयर और दो वार्डों में सपत्नीक पार्षद पद पर चुनाव मैदान में उतर पड़े। लेकिन आज शाम काबिना मंत्री धन सिंह रावत की अगुवाई में कई आला नेताओं ने काफी देर की बातचीत के बाद बाटा को मना लिया। इस बातचीत के बाद बाटा ने मेयर पद पर भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता के समर्थन की घोषणा कर दी है। जबकि दोनों वार्डों में बाटा पत्नी सहित चुनाव लड़ेंगे। हालांकि इस बाबत हुई बातचीत में बाटा ने कहा कि वार्डों में लड़ने को लेकर जो पार्टी(भाजपा)का निर्णय होगा,वह उन्हें मंजूर होगा। ऐसे में अब बड़ा सवाल भाजपा आला नेताओं के सामने खड़ा होगा कि वह दोनों वार्डो में क्या निर्णय ले?किसे नाराज करें?क्योंकि दोनों वार्डों में पार्टी के परंपरागत मतदाता समझे जाने वाले वर्गों के लोग चुनाव लड़ रहे हैं। खुद बाटा जिस वर्मा(स्वर्णकार)वर्ग से हैं वह भी भाजपा का परम्परागत मतदाता समझा जाता है। यह वर्ग सिर्फ बाटा के टिकट को लेकर ही नही वार्डों में टिकट की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भी पार्टी से नाराज चल रहा है।
चंद्रप्रकाश बाटा के आज के पूरे घटनाक्रम को लेकर जो तस्वीर उभरी है वह यह है कि बाटा मेयर पद के लिए पार्टी को टाटा नही कर पाए हैं। जबकि अभी तक दो वार्डो 31 व 32 में स्थिति साफ न होने व यह जानकारी सामने आने पर कि बाटा और उनकी पत्नी सीमा वर्मा इन वार्डों में खड़े रहेंगे तो यह कहा जा सकता है कि बाटा पार्टी को एक जगह टाटा नही कर पाएं हैं तो एक जगह घाटा भी देंगे। हालांकि उन्होंने इस मसले पर यह कहते हुए गेंद पार्टी के पाले में उछाल दी कि पार्टी जो तय करे,वह मंजूर होगा। लेकिन अहम बात यह है कि पार्टी के लिए इस मसले पर कोई निर्णय लेना आसान नही होगा। क्योंकि वार्ड 31 जहां से खुद बाटा निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी हैं वहां पार्टी से पुराने नेता और सभासद रहे राकेश धीमान प्रत्याशी हैं। ऐसे में भाजपा के परम्परागत मतदाता समझे जाने वाले धीमान समाज के राकेश धीमान की बाबत कोई निर्णय लेना पार्टी के लिए चलते चुनाव में आसान नही होगा। राकेश धीमान की पत्नी भी सभासद रही हैं। ठीक ऐसी ही स्थिति वार्ड 32 में है। यहां बाटा की पत्नी सीमा वर्मा निर्दलीय रूप से,भाजपा प्रत्याशी एक बार के सभासद और एक बार के पार्षद दिनेश शर्मा के सामने चुनाव मैदान में है। ऐसे में भाजपा के ही परम्परागत मतदाता समझे जाने वाले ब्राह्मण वर्ग के दिनेश शर्मा की बाबत भी बहुत सोचकर ही पार्टी कुछ तय कर पायेगी। खुद स्वर्णकार समाज के बाटा और उनकी पत्नी की बाबत भी पार्टी को कुछ तय तो करना ही पड़ेगा। कुल मिलाकर इस मसले पर भाजपा के सामने न उगला जाए और न निगला जाए,वाले हालात बनने के पूरे आसार हैं। खैर आज मेयर पद पर भाजपा नेताओं द्वारा मनाए जाने से पूर्व बाटा ने जब अपने दफ्तर का उद्घाटन किया तो सम्बोधन में गौरव गोयल की बेवफाई का दर्द उनके मुहं से निकल पड़ा। बाटा ने आंसू बहाते हुए कहा कि गौरव गोयल ने उनसे कहा था कि उनका(गोयल का)भाजपा टिकट न होने पर वह उन्हें(बाटा को)चुनाव लड़ाएंगे,और ढाई लाख रुपये से बाटा का तिलक करते हुए उन्हें आर्थिक सहायता भी देंगे,पर गौरव गोयल ने उन्हें धोखा दिया।