अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस… ऐसे तो कोई तेजतर्रार महिला उत्तराखण्ड पुलिस में नौकरी ही नही करेगी….

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रुड़की(संदीप तोमर)
रणवीर इनकाउंटर की आवाज क्या सुनाई दी उत्तराखंड की मित्र पुलिस ने बिल्कुल हथियार डाल दिए। नतीजे के तौर पर अनेक छुटपुट बदमाश पैदा हो गए। जिन का इलाज करने की मंशा से फील्ड में उतरे उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने अपराध एवं कानून व्यवस्था के निदेशक अशोक कुमार को पूरी कमान दी। इस कमान में अशोक कुमार अपने दायित्व से कभी पीछे नहीं हटे।उनके निर्देशन में तमाम गलत काम करने वालों के हौसले पस्त होते हुए नजर आए, लेकिन एक ऐसा भी मामला यहां चल रहा है जिसमें प्रदेश के पुलिस के अग्रिम अधिकारी चाहे अशोक कुमार हों या फिर पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी वह एक ऐसे मामले पर एक ऐसी महिला पुलिस अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होते हुए देख रहे हैं जिसने आज तक अपने काम को बखूबी अंजाम दिया है। यहां बात हो रही है पुलिस की निरीक्षक श्रीमती साधना त्यागी की। साधना त्यागी के बारे में सामान्य तौर पर बात करें तो कोई बात नजर नहीं आती। एक साधारण सी बात यह दिखती है कि वह एक महिला पुलिस निरीक्षक हैं और भौगोलिक,आपराधिक इतिहास के लिहाज से उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार में तैनात हैं लेकिन यदि हरिद्वार जनपद की बात अपराध के लिहाज से होती है तो अपराध के मायने क्या है और किस तरह का अपराध यहां होता है एवं होता रहा है इस बारे में यहां तैनात रहे तमाम अधिकारियों जिनमे अशोक कुमार से लेकर अभिनव कुमार, केकेवीके,डी सेंथिल अबुदाई से पूछा जा सकता है। ऐसे में सबसे बड़ी बात कि जिस कुख्यात सुनील राठी और उसकी मां राजबाला के किसी भी आपराधिक मुकदमे में उनके सामने आने की हिम्मत न कर सकने वाला कोई पुलिस वाला जब दिखाई नहीं दे रहा था, तो यह काम साधना त्यागी ने किया था। आज जब एक लिहाज से उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए था तो यह आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें सैल्यूट करने का विषय हो सकता है,लेकिन दुख का विषय है कि जिस महिला को सेल्यूट करना चाहिए था,उसके खिलाफ आज उसका ही महकमा मुकदमा दर्ज कर रहा है और वह भी उसकी तहरीर पर जिसके बारे में तमाम अनर्गल बातें जनता के सामने हैं। ऐसे कई गवाह रुड़की हब के पास हैं जिनमें मुकदमा दर्ज कराने वाला व्यक्ति कहीं ना कहीं या तो अश्लील रूप से किन्हीं चित्रों में नजर आ रहा है या फिर यह भी साफ महसूस हो रहा है कि वह किसी के हाथों की कठपुतली है। अब यह पूरा मामला प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पास है और आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्हें देखना होगा कि वह अपने विभाग की एक महिला जांबाज अधिकारी का सम्मान रखते हैं या फिर जैसा पूर्वर्ती अधिकारियों ने किया है,उसी थकी हुई लकीर पर चलेंगे।
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