संदीप तोमर
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रुड़की। कल शाम की बात है सिविल लाइन से घर की ओर आते हुए गणेश चौक पर एक मित्र की दुकान पर कुछ मित्रों के बीच रुक गया। जैसा कि आजकल सब जगह चुनावी चर्चा का माहौल गर्म है तो यहां चुनाव को लेकर ही बातें होने लगी। आते-आते बात भाजपा टिकट के दावेदारों की आयी तो मैंने मित्रों को जानकारी दी कि भाजपा से तो एक और शख्स ने दावेदारी कर दी है जो समाजसेवी भी है। मित्रों ने नाम पूछा तो इधर मेरे मुहं से ललित मोहन अग्रवाल निकला था कि उधर तपाक से दुकान स्वामी मित्र जो खुद वैश्य समाज से है,के मुहं से निकला ये साहब कौन हैं?
दरअसल ये सिर्फ अपने इस मित्र के मुहं से ही नही बल्कि अभी तक कई लोगों के मुहं से सुन चुका हूं। ललित मोहन अग्रवाल के बारे में जितना जाना और सुना है उसके अनुसार वह बहुत भले और सज्जन इंसान है,साथ ही मृदु भाषी भी हैं। किन्तु उनके अचानक से रुड़की की भाजपा राजनीति में सक्रिय हो,मेयर टिकट की दावेदारी करने और खुद को समाजसेवी बताए जाने को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसा कतई नही कि उन्हें दावेदारी करने का हक नही,या उन्होंने समाजसेवा नही की। किन्तु खुद को भाजपा के स्थापना वर्ष 1980 से ही पार्टी के साथ जुड़ा होना बताने वाले ललित मोहन अग्रवाल ने रुड़की नगर क्षेत्र(देहात वाले नए निगम क्षेत्र को भी छोड़ दिया जाए) में कब और किस तरह समाजसेवा की?इस सवाल को लेकर लोग सिर धुनने को मजबूर हैं। खास तौर पर तब,जब कई जगह उनके होर्डिग्स या बैनर पर उनके नाम के नीचे समाजसेवी लिखा नजर आता है। ललित मोहन अग्रवाल के अनुसार वह 1997 से 2004 तक छावनी परिषद रुड़की में सदस्य रहे हैं। बिल्कुल इस अवधि में उन्होंने कैंट बोर्ड क्षेत्र के लोगों की सेवा करने के साथ ही और भी अच्छे काम किये होंगे। किन्तु रुड़की नगर क्षेत्र,जिसका कैंट बोर्ड से दूर तक कोई वास्ता नही होता,यहां कभी वह राजनीतिक रूप से तो सक्रिय नजर नही आये। अलबत्ता जहां तक नगर क्षेत्र में समाजसेवा की बात है तो हो सकता है उन्होंने पर्दे के पीछे से इसमें योगदान दिया हो या बड़े कारोबारी होने के चलते वह ऐसे आयोजनों में गुप्तदान आदि करते रहे हों और अब चुनाव आने पर उन्होंने गुप्तदान को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया हो। किन्तु जहां तक राजनीतिक सक्रियता की बात है तो उन्हें बताना चाहिए कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उन्होंने सरकार के गलत कामो के खिलाफ किंतने धरना प्रदर्शन किए? विशेष रूप से रुड़की के अधिकारों के लिए कितनी आवाज उठायी?किंतने बयान रुड़की की समस्याओं के लिए दिए?पूर्व कांग्रेसी मेयर यशपाल राणा के कार्यकाल में बोर्ड के गलत निर्णयों को लेकर कितनी आवाज उठाई?रुड़की के लोगों की अतिक्रमण,जलभराव व सीवरेज की समस्या को लेकर कितना संघर्ष किया?किंतने मोर्चे निकाले?इन सवालों का जवाब शायद ललित मोहन अग्रवाल पर न हो,क्योंकि यदि होता तो उनका नाम सुनकर कम से कम उन्ही की बिरादरी का युवा यह सवाल नही करता कि ये कौन साहब हैं? बहरहाल टिकट मांगना ललित मोहन अग्रवाल का अधिकार है और उनकी सज्जनता,व्यवहारिकता,मृदु भाषी व्यवहार एवं ईमानदार छवि को देखते हुए भाजपा नेतृत्व उन्हें टिकट देता है या नही?यह देखने वाली बात होगी।