हरिद्वार सनत शर्मा :- *[पुलिसनामा]- पुलिसकर्मी ये खर्चे कहाँ से पूरे करें? किसी पुलिसकर्मी से पूछिये जब वह न्यायालय में चार्ज शीट दाखिल करने जाता है,या कहीं लावारिस लाश मिल जाती है,जब थाने की स्टेशनरी समाप्त हो जाती है जब सरकार द्वारा पुलिस वाहनो के निर्धारित वाहन भत्ता, समाप्त हो जाता है,पुलिस के सिपाहियों को छोड़कर क्यों कि उनको साइकिल भत्ता मिलता है ! थाने या चौकी में आये अति विशिष्ट व्यक्तियों के चाय नाश्ते का खर्चा आदि-आदि यदि किसी घर से भागे हुये लड़के या लड़की को दूसरे राज्य में जा कर बरामद करना है! और भागे हुये लड़के या लड़की के अभिभावक यदि गरीब हैं तो बरामद करने वाले पुलिस दल को अपनी जेब से 25 हज़ार या उससे अधिक खर्च करने पड़ते हैं सरकार ने इस खर्च की भी कोई व्यवस्था नहीं की है ! इसी प्रकार से किसी के एकाउन्ट से पैसे निकल गये और अपराधी की लोकेशन अगर झारखंड में मिली तो पुलिस दल को अपने ही खर्च से जाना पड़ता है ! सरकार को चाहिए कि इन मदों में खर्च होने वाले पुलिसकर्मियों के खर्चे की अलग से व्यवस्था करे क्यों कि सरकार में उच्च पदों पर आईएएस बैठे हैं क्या उनको पता नहीं है? साइकिल भत्ता पाने वाला सिपाही, बाइक पर भागने चोर को कैसे पकड़ेगा ! अगर सिपाही बाइक पर चलेगा तो उसका खर्चा कैसे पूरा करेगा बाईक की सर्विसिंग का खर्चा,पेट्रोल का खर्चा सिपाही कहाँ से पूरा करेगा ? 30/-रू० खुराकी भत्ता 30/-रू० मे खाना कहाँ मिलता है? होटल वाला भगा देगा,क्या बदन तोड़ ड्यूटी करने वाला पुलिसकर्मी 30/-रू० का ही भोजन करेगा? प्रत्येक दरोगा सिपाही को मोबाइल फोन रखना आवश्यक है ! उसके रिचार्ज का जो खर्चा आता है ! वो कहाँ से पूरा होगा,इन खर्चों से एक थानेदार से लेकर सिपाही तक परेशान रहता है ! उसके बाद जनता तथा राजनेता कहते हैं पुलिसकर्मी अवैध वसूली करते हैं ! या पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार बहुत है ! पुलिस विभाग में अवैध वसूली क्यों करते है या पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार क्यों है ये सरकार को या शासन में बैठे उच्चाधिकारियों को सोचना चाहिये,अब समय आ गया है जब सरकार को पुलिसकर्मियों की दिक्कतों के बारे में सोचना ही पड़ेगा ।
हरिद्वार सनत शर्मा :- पुलिस का दर्द । जिससे है हर कोई बेखबर, आखिर कब इस बारे में सरकार सोचेगी ।
