रुड़की(संदीप तोमर)। नगर निगम अधिनियम उत्तर प्रदेश 1959 की धारा 32 के तहत रुड़की नगर निगम चुनाव सम्पन्न कराने का जो फैंसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है,वह पूर्व मेयर यशपाल राणा की याचिका पर आया है। सरकार चुनाव नही कराने के मूड में थी और इसके खिलाफ यशपाल राणा ने सर्वोच्च अदालत में गुहार लगाई थी। दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में आरक्षण व अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए सरकार के पास बामुश्किल 15 दिन का समय है।
हाईकोर्ट नैनीताल की डबल बैंच ने सरकार को रुड़की में चुनाव कराने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी। यहां पूर्व मेयर यशपाल राणा ने विशेष अनुमति याचिका के जरिये सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जजों की दो सदस्यीय खंडपीठ जिसमें,न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर व न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी शामिल थे,ने 2 जुलाई को यह फैसला सुनाया है। फैसले की दिलचस्प बात यह है कि जहां सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव को लेकर प्रदेश सरकार के रुख पर हैरत जताते हुए कहा है कि कर्तव्य के रूप में चुनाव अन्य निकायों के साथ मई 2018 तक ही सम्पन्न हो जाने चाहिए थे,वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 24 जुलाई तय करते हुए आदेशित किया है कि चुनाव प्रक्रिया के तहत आरक्षण आदि अन्य सभी कार्य आगामी सुनवाई की तिथि 24 जुलाई से पूर्व सम्पन्न करने होंगे,यानि यह सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए सरकार के पास बामुश्किल 15 दिन का समय है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी सख्त हिदायत दी है कि आदेशानुसार प्रक्रिया पूरी कर तय समय पर कोर्ट को सूचित नहीं किया गया तो इसे बेहद गंभीर माना जाएगा और इसके लिए सीधे प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में एक बात और स्पष्ट की है कि इस फैसले के बाद पूर्व में इस प्रकरण में निचली किसी अदालत एवं हाई कोर्ट के सभी आदेश निरस्त माने जाएंगे। यानि कहा जा सकता है कि इसी प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल ने बुधवार को जो एक फैसला सुरक्षित रखा है वह हाईकोर्ट द्वारा सुनाये जाने पर सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले के आलोक में प्रभावी नही होगा। नगर निगम क्षेत्र परिसीमन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैंसले में कोई उल्लेख नही है,किन्तु फैंसले को देखते हुए राजनीतिक परिपेक्ष्य में कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव पुराने परिसीमन पर होगा।