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प्रिंस शर्मा/ रुड़की
टीचर बच्चों के मां-बाप से कम नहीं होते हैं। घर में माँ बाप और विद्यालय मे शिक्षक ही बच्चों का उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए भरसक प्रयास करते हैं। गुरुवार को केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 में नन्हे मुन्ने बच्चों की कक्षा में अजब नजारा देखने को मिला। कक्षा में अधिकांश बच्चे रो रहे थे। अगर कोई भी यह दृश्य देखता तो वह यही कहता कि शायद टीचर ने बच्चों को सजा दी होगी लेकिन इस क्लास में किसी बच्चे को सजा नहीं मिली थी। यह बच्चे इसलिए नहीं रो रहे थे की उन्हें किसी टीचर ने डांटा था बल्कि वह इसलिए रो रहे थे कि उनकी प्यारी कुसुम सैनी मैडम आज रिटायर हो रही है। विद्यालय में उनका लास्ट वर्किंग डे था। बच्चों को देख कर यह कहने की जरूरत नहीं थी कि उनकी मैडम बच्चों को कितना प्यार करती है। बच्चे मैडम से लिपटकर ऐसे रो रहे थे जैसे कोई बच्चा अपनी मां से बिछड़ते हुए रोता है। यह दृश्य देखकर कोई भी कह सकता था कि बच्चों को मां-बाप से अधिक भी कोई प्यार करता है या बच्चे भी किसी को मां बाप से अधिक प्यार करते हैं। यदि शिक्षक अपना कर्तव्य ठीक प्रकार से निभाए तो बच्चे भी उन पर भरपूर प्यार लुटाते हैं। कुसुम सैनी मैडम ने अपने कर्तव्य को कितना अच्छे से निभाया है उसके गवाह उनकी क्लास में मौजूद बच्चों के आंसू है। यह उन शिक्षकों के लिए भी सबक है जो हमेशा यह कहते नजर आते हैं कि उनकी क्लास के बच्चे बिल्कुल बेकार है, नालायक है। बच्चे तो वह कच्ची मिट्टी हैं जिससे चाहे भगवान की मूर्ति बनवा लो या कुछ ओर… कुसुम सैनी मैडम की तारीफ जितनी कि जाए उतनी कम है।
ऐसा क्या हुआ जो शिक्षिका से लिपटकर रो पड़े विद्यालय के मासूम बच्चें, पढ़ें पूरी खबर..
